tag:blogger.com,1999:blog-9944257223340122532024-03-12T21:22:41.884-07:00Khuda Khair kareѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comBlogger78125tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-91067316390046620412014-10-11T20:39:00.004-07:002014-10-11T20:39:59.187-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br /></div>
ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-13189100572774407612013-02-12T20:08:00.002-08:002013-02-12T20:08:54.379-08:00
अब हमर जात पात के राचर हा चरमरावत जावत हवय,
चरवाहा बिन,गाय गरुवा एती ओती भागत जावत हवय,
पूना अउ बंगलोर के हवा पानी मा नइ जानन का्य हवय,
लैका मन किसम किसम के खिचड़ी पकावत जावत हवय,
अउ उंखर खुशी के कारण उंखर दाई ददा मन घलो ऐसनेच,
उत्ता धुर्रा खिचड़ी ला बने चांट चांट के खावत जावत हवय्।
पर एखर एक सकरात्मक पक्ष हे,जेन समाजवाद ला नेता,
मन नइ ला सकिन, ओला लैका मन लावत जावत हवय।
ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-6535562780516732122013-02-12T20:06:00.002-08:002013-02-12T20:06:55.820-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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अब हमर जात पात के राचर हा चरमरावत जावत हवय,
चरवाहा बिन,गाय गरुवा एती ओती भागत जावत हवय,
पूना अउ बंगलोर के हवा पानी मा नइ जानन का्य हवय,
लैका मन किसम किसम के खिचड़ी पकावत जावत हवय,
अउ उंखर खुशी के कारण उंखर दाई ददा मन घलो ऐसनेच,
उत्ता धुर्रा खिचड़ी ला बने चांट चांट के खावत जावत हवय्।
पर एखर एक सकरात्मक पक्ष हे,जेन समाजवाद ला नेता,
मन नइ ला सकिन, ओला लैका मन लावत जावत हवय।
ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-46124806937681102872012-04-04T05:22:00.001-07:002012-04-04T05:22:37.821-07:00MERA YAR KAHEѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-45794492695775720872012-02-23T17:09:00.002-08:002012-02-23T17:09:54.467-08:00नया हूं अभीमैं तेरे शह्र में बिलकुल नया नया हूं अभी,<br />
तेरे वादों के हवालात में बंधा हूं अभी।<br />
<br />
चराग़ों के लिये मंज़ूर है मुझे मरना,<br />
मुकद्दर आंधियों के तेग पर रखा हूं अभी।<br />
<br />
घिरी है बदज़नी से , हुस्न की गली गोया,<br />
लुटाने इश्क़ के इमान को चला हूं अभी।<br />
<br />
बहुत डरता हूं उजालों की बेख़ुदी से मैं,<br />
तेरी यादों के अंधेरों में जा छिपा हूं अभी।<br />
<br />
ख़ुदा के गांव से आया हुआ मुसाफ़िर हूं,<br />
तुम्हारे हुस्न के चौपाल पर फ़िदा हूं अभी।<br />
<br />
मुहब्बत में वफ़ा के बदले धोखा ही पाया,<br />
मगर फिर भी वफ़ा का ज़ुल्म कर रहा हूं अभी।<br />
<br />
समंदर से मेरा रिश्ता पुराना है दानी,<br />
सितमगर साहिलों से डरने लगा हूं अभी।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-67116200345787716112012-02-02T21:28:00.000-08:002012-02-02T21:28:46.875-08:00क़ातिल लापता हैमौत से ये दिल रज़ा है,<br />
और क़ातिल लापता है।<br />
<br />
वो समंदर ,मैं किनारा,<br />
उम्र भर का फ़ासला है।<br />
<br />
मैं चरागों का मुहाफ़िज़,<br />
वो हवाओं की ख़ुदा है।<br />
<br />
सब्र की जंज़ीरें मुझको,<br />
खुद हवस में मुब्तिला है।<br />
<br />
सांसें कब की थम चुकी हैं,<br />
ज़ख्मे दिल फिर भी हरा है।<br />
<br />
बेवफ़ाई की ज़मीं पर,<br />
शजरे दिल अब भी खड़ा है।<br />
<br />
चैन भी वो ले गई है,<br />
जिसको दिल मंने दिया है।<br />
<br />
बोझ सांसों का उठाये,<br />
इक ज़माना हो गया है।<br />
<br />
प्यार की सरहद पे दानी,<br />
इश्क़ ही क्यूं हारता है।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-69981314957057901782012-01-12T18:24:00.000-08:002012-01-12T18:24:56.194-08:00वादों की कश्तीवादों की कश्ती पर सवार है दिल,<br />
हिज्र के ज़ुल्मों का शिकार है दिल्।<br />
<br />
तुमसे मिल के करार पाऊंगा,<br />
बस यही सोच बेकरार है दिल्।<br />
<br />
तुमको देकर किनारों की खुशियां,<br />
एक समंदर सा बेहिसार है दिल्।<br />
<br />
तू थी तो बिन पिये नशा सा था,<br />
तू गई जब से बेखुमार है दिल्।<br />
<br />
तेरे खातिर बना के ताजमहल,<br />
एक दरवेश का मज़ार है दिल्।<br />
<br />
तू हवस के सफ़र की एक राही,<br />
मंज़िले सब्र का ग़ुबार है दिल्।<br />
<br />
तेरी ज़ुल्फ़ों के सर्द साये में,<br />
एक भड़कता हुआ शरार है दिल्।<br />
<br />
बेवफ़ाई की लह्रें भी मंज़ूर,<br />
गो वफ़ा की तटों का यार है दिल्।<br />
<br />
आज कल यूं ही दानी हंसता है,<br />
वरना सदियों से अश्कबार है दिलѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-54368286103466057062011-12-03T18:59:00.001-08:002011-12-03T18:59:40.964-08:00झूठी मुहब्बतहमारा घर भी जला दो जो रौशनी कम हो,<br />
हमारी झूठी मुहब्बत की बानगी कम हो।<br />
<br />
अगर ग़रीबों की करनी है सेवा, ये तभी हो<br />
सकेगा जब ख़ुदा-ईश्वर की बंदगी कम हो।<br />
<br />
पड़ोसी ,दोस्ती के बीज़ गर न रोपे तो,<br />
हमारे खेतों से क्यूं फ़स्ले दुश्मनी कम हो।<br />
<br />
मिले न राधा तो सलमा से ना ग़ुरेज़ करो,<br />
कि बेवफ़ाओं की गलियों की चाकरी कम हो।<br />
<br />
कभी संवारा करो ज़ुल्फ़ों को सरेबाज़ार,<br />
तराजुओं के इरादों की गड़बड़ी कम हो।<br />
<br />
उतार दूं तेरी आंखों के दरिया में कश्ती,<br />
तेरी ज़फ़ाओं की गर धरती दलदली कम हो।<br />
<br />
उंचे दरख़्तों से क्या फ़ायदा मुसाफ़िर को,<br />
किसी के काम न आये वो ज़िन्दगी कम हो।<br />
<br />
भले दो घंटे ही हर कर्मचारी काम करे,<br />
मगर ये काम हक़ीक़ी हो काग़जी कम हो।<br />
<br />
मिलेगी मन्ज़िलें कुछ देर से सही दानी,<br />
हमेशा जीत की दिल में दरीन्दगी कम हो।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-43170894770782906572011-11-07T18:42:00.000-08:002011-11-07T18:42:06.257-08:00मेरे दर्द की दवातुम मेरे दर्द की दवा भी हो,<br />
तुम मेरे ज़ख़्मों पर फ़िदा भी हो।<br />
<br />
इश्क़ का रोग ठीक होता नहीं,<br />
ये दिले नादां को पता भी हो।<br />
<br />
शह्रों की बदज़नी भी हो हासिल,<br />
गांवों की बेख़ुदी अता भी हो।<br />
<br />
पेट परदेश में भरे तो ठीक,<br />
मुल्क में कब्र इक खुदा भी हो।<br />
<br />
महलों की खुश्बू से न हो परहेज़,<br />
साथ फ़ुटपाथ की हवा भी हो।<br />
<br />
उस समन्दर में डूबना चाहूं,<br />
जो किनारों को चाहता भी हो।<br />
<br />
मैं ग़रीबी की आन रख लूंगा,<br />
पर अमीरों की बद्दुआ भी हो।<br />
<br />
हारे उन लोगों से बनाऊं फ़ौज़,<br />
जिनके सीनों में हौसला भी हो।<br />
<br />
आशिक़ी का ग़ुनाह कर लूं साथ<br />
दानी,मां बाप की दुआ भी हो।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-74710856288107325462011-10-26T19:45:00.000-07:002011-10-26T19:45:04.193-07:00आशिक़ी का पैमानाआशिक़ी का कोई तो पैमाना होगा,<br />
बेबसी के गीत कब तक गाना होगा।<br />
<br />
चादनी की बदज़नी स्वीकार कर ले,<br />
चंद को घर छोड़ या फिर जाना होगा।<br />
<br />
सर झुका कर हुस्न के नखरे जो झेले,<br />
दौरे-फ़रदा में वही मरदाना होगा।<br />
<br />
दिल समंदर के नशा से निकले बाहर,<br />
हुस्न की कश्ती में गर मैखाना होगा।<br />
<br />
मैं ग़ुनाहे -इश्क़ कर तो लूं सनम,गर<br />
दा्यरे- तफ़्तीश तेरा थाना होगा।<br />
<br />
आये मुल्के हुस्न में आफ़त का तूफ़ां,<br />
गर सिपाही इश्क़ का बेगाना होगा।<br />
<br />
तेरी आंखों में शरारे जब दिखेंगी,<br />
मरने को तैयार ये परवाना होगा।<br />
<br />
फ़ंस चुका है जो हवस के जाल में ,वो<br />
सब्र की शमशीर से अन्जाना होगा।<br />
<br />
गर मदद की आग दानी लेनी है तो<br />
तो गुज़रिश का धुआं फ़ैलाना होगा।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-87810480349867656752011-09-25T21:02:00.001-07:002011-09-25T21:02:30.112-07:00वफ़ा का नक़ाबग़मों का ज़िन्दगी भर जो हिसाब रखता है,<br />
उसे कभी न खुशी का सवाब मिलता है।<br />
<br />
कटाना पड़ता है सर जान देनी पड़ती है,<br />
किसी वतन में तभी इन्क़लाब आता है।<br />
<br />
चराग़ों से तुम्हें गर मिलता है उजाला तो,<br />
ज़लील चांदनी की क्यूं किताब पढता है।<br />
<br />
उसे अजीज़ है गो बेवफ़ाई का बिस्तर ,<br />
मगर पास वफ़ा का वो नक़ाब रखता है।<br />
<br />
सिपाही,जान लुटाकर संवारते सरहद,<br />
सियासी चाल से मौसम ख़राब होता है।<br />
<br />
अंधेरों की भी ज़रूरत है सबको जीवन में,<br />
हरेक दर्द कहां आफ़ताब हरता है।<br />
<br />
शराब की क्या औक़ात, साक़ी की अदा से,<br />
शराबियों को नशा-ए-शराब चढता है।<br />
<br />
हवस के बिस्तर में रोज़ सोती है वो, सब्र<br />
का मेरे दिल के बियाबां में ख़्वाब पलता है।<br />
<br />
जो हार कर भी निरंतर प्रयास करता रहे,<br />
वो दुनिया में सदा कामयाब होता है।<br />
<br />
अगर तू इश्क़ समंदर से करता है दानी,<br />
तो रोज़ साहिलों को क्यूं हिसाब देता है।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-48708404017890789182011-09-17T22:58:00.001-07:002011-11-19T20:30:09.131-08:00धूप का टुकड़ा।इक धूप का टुकड़ा भी मेरे पास नहीं है,<br />
पर अहले जहां को कोई संत्रास नहीं है। ( अहले जहां - जहां वालों को )<br />
<br />
मंझधार से लड़ने का मज़ा कुछ और है यारो,<br />
मुरदार किनारों को ये अहसास नहीं है।<br />
<br />
कल के लिये हम पैसा जमा कर रहे हैं ख़ूब,<br />
कितनी बची है ज़िन्दगी ये आभास नहीं है।<br />
<br />
मासूम चराग़ों की ज़मानत ले चुका हूं,<br />
तूफ़ां की वक़ालत मुझे अब रास नहीं है।<br />
<br />
मैं हुस्न के वादों की परीक्षा ले रहा हूं,<br />
वो होगी कभी पास ये विश्वास नहीं है।<br />
<br />
अब सब्र के दरिया में चलाऊंगा मैं कश्ती,<br />
पहले कभी भी इसका गो अभ्यास नहीं है।<br />
<br />
ग़ुरबत का बुढापा भी जवानी से कहां कम,<br />
मेहनत की इबादत का कोई फ़ांस नहीं है।<br />
<br />
आज़ादी का हम जश्न मनाने खड़े हैं आज,<br />
बेकार ,सियासी कोई अवकाश नहीं है।<br />
<br />
अब भूख से मरना मेरी मजबूरी है दानी,<br />
हक़ में मेरे रमज़ान का उपवास नहीं है।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-32235488740925620852011-09-03T20:09:00.000-07:002011-09-03T20:09:04.401-07:00हम दोनों गर साथ ।हम दोनों गर साथ ज़माने को क्या,<br />
दिन हो या रात, ज़माने को क्या।<br />
<br />
आज चराग़ों और हवाओं की गर,<br />
निकली है बारात, ज़माने को क्या।<br />
<br />
बरसों हुस्न की मज़दूरी कर मैंने,<br />
पाई है ख़ैरात ,ज़माने को क्या।<br />
<br />
साहिल से डरने वाले गर लहरों,<br />
को देते हैं मात, ज़माने को क्या।<br />
<br />
कोई हुस्न कोई जाम की बाहों में,<br />
जिसकी जो औक़ात ज़माने को क्या।<br />
<br />
मैं ग़रीबी में भी ख़ुश रहता हूं,ये<br />
है ख़ुदाई सौग़ात, ज़माने को क्या।<br />
<br />
ग़ैरों से बांह छुड़ाये ठीक ,अगर<br />
अपने करें आघात, ज़माने को क्या।<br />
<br />
शाम ढले घर आ जाया करो बेटे,<br />
ये समय है आपात ज़माने को क्या।<br />
<br />
चांद वफ़ा का शौक़ रखे दानी पर,<br />
चांदनी है बदज़ात ज़माने को क्या।<br />
ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-38223241004566238592011-08-19T20:07:00.000-07:002011-08-19T20:07:39.399-07:00जंग का मिज़ानहर जंग का मिज़ान है हिम्मत ओ हौसला,<br />
पर इश्क़ के मकान में ताक़त का काम क्या।<br />
<br />
आवार घूमता है विरह की गली में चांद,<br />
फिर बादलों का चांदनी पर जादू चल गया।<br />
<br />
मंज़ूर है चरागे-जिगर को शरारे ग़म,<br />
महफ़िल-ए-हुस्न जलवा दिखाये तो मरहबा।<br />
<br />
पतझड़ भरे खेतों में कल आयेगी बहार,<br />
हर ज़िन्दगी के साथ है सुख दुख का सिलसिला।<br />
<br />
हमको मिला ग़रीबी का दानव तमाम उम्र,<br />
गोया अमीरों की ही इबादत सुने ख़ुदा।<br />
<br />
मां गांव में अकेले ही मर ख़फ़ गई मगर,<br />
मैं बज़्मे-शह्र से कभी भी ना निकल सका।<br />
<br />
जलते रहा वफ़ा के शरारों में मेरा दिल,<br />
मेरे जनाज़े में भी न ,पर आई बेवफ़ा।<br />
<br />
वो नीमकश निगाहें वो दिलकश अदायें हाय,<br />
उस बेरहम को कैसे दूं मर के भी बद्दुआ।<br />
<br />
मझधारे-शौक़ को हरा कर दानी आया है,<br />
पर सब्र के किनारों को मुश्किल है जीतना।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-68513688138594007632011-08-06T21:56:00.000-07:002011-08-06T21:56:42.551-07:00विरह की आग।मुझसे सावन की घटा ,ये कह रही है,<br />
क्यूं विरह की आग तेरे दर खड़ी है।<br />
<br />
ऐसे मौसम में ख़फ़ा क्यूं तुझसे साजन ,<br />
तेरे ही श्रृंगार में शायद कमी है।<br />
<br />
कुछ अदा-ए-हुस्न का परचम तो फ़हरा,<br />
तुझको यौवन की इनायत तो मिली है।<br />
<br />
भीख मांगेगा रहम की,तुझसे वो, तू<br />
हुस्न की जंज़ीर ढीली क्यूं रखी है।<br />
<br />
बांध कर क्यूं रखते हो ज़ुल्फ़ों को अपनी,<br />
इसके साये में हया भी बोलती है।<br />
<br />
नथनी ,बिछिया , पैरों में माहुर कहां हैं,<br />
सब्र की बुनियाद इनसे ही ढही है।<br />
<br />
नीमकश नज़रों से बर्छी तो चलाओ,<br />
सैकड़ों कुरबानी इसने ही तो ली है।<br />
<br />
चूड़ियों को हौले से खनका तो दे , फिर<br />
देखें कितनी पाक साजन की ख़ुदी है।<br />
<br />
फिर सुना, झन्कार अपने पायलों की,<br />
साधुओं की भी इन्हीं से दुश्मनी है।<br />
<br />
सुर्ख साड़ी की ज़मानत क्यूं न लेती,<br />
ये मुहब्बत की अदालत की सखी है।<br />
<br />
तेरा साजन दौड़ कर आयेगा दानी,<br />
वो कोई ईश्वर नहीं इक आदमी है।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-45432088076182120122011-07-30T10:02:00.000-07:002011-07-31T20:54:05.207-07:00मौत की उम्मीदमरने की उम्मीद में बस जी रहा हूं,<br />
अपनी सांसों का कफ़न खुद सी रहा हूं।<br />
<br />
तेरी आंखों के पियाले देखे जब से,<br />
मैं शराबी तो नहीं पर पी रहा हूं।<br />
<br />
जनता के आइनों से मैं ख़ौफ़ खाता ,<br />
मैं सियासी चेहरों का पानी रहा हूं।<br />
<br />
तुम तवायफ़ की गली की आंधियां, मैं,<br />
बे-मुरव्वत शौक की बस्ती रहा हूं।<br />
<br />
क्या पता इंसानियत का दर्द मुझको,<br />
सोच से ता-उम्र सरकारी रहा हूं।<br />
<br />
काम हो तो मैं गधे को बाप कहता,<br />
दिल से इक चालाक व्यापारी रहा हूं।<br />
<br />
इश्क़ में तेरे ,हुआ बरबाद ये दिल,<br />
हुस्न के मंचों की कठपुतली रहा हूं।<br />
<br />
जग, पुजारी है किनारों की हवस का,<br />
सब्र के दरिया की मैं कश्ती रहा हूं।<br />
<br />
मत करो दानी हवाओं की ग़ुलामी,<br />
मैं चरागों के लिये ख़ब्ती रहा हूं।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-49762302870531120452011-07-23T08:54:00.000-07:002011-07-23T08:54:44.672-07:00रात की तंग गलियांरात की तंग गलियों में सपने मेरे गुम रहे,<br />
उनकी यादों के बेदर्द तूफ़ां भी मद्ध्म रहे।<br />
<br />
नींद आती नहीं रात भर जागता रहता हूं,<br />
मेरी तन्हाइयों के शराफ़त भी गुमसुम रहे।<br />
<br />
ज़ख्मों का बोझ लेकर खड़ा हूं दरे-हुस्न पर,<br />
दर्द ,गम ,आंसू ,रुसवाई ही मेरे मरहम रहे।<br />
<br />
वस्ल का चांद परदेश में बैठके ले रहा,<br />
इश्क़ की फ़ाइलों में विरह के तबस्सुम रहे।<br />
<br />
प्यार की आग की लपटों से कौन बच पाया है,<br />
दिल के मैदानों से दूर बारिश के मौसम रहे।<br />
<br />
चांदनी मुझसे नाराज़ थी जब तलक दोस्तों,<br />
तब तलक मेरे घर जुगनुओं के तरन्नुम रहे।<br />
<br />
ईदी का फ़र्ज़ हुस्न वाले निभाते नहीं,<br />
इसलिये आश्क़ी की गिरह में मुहर्रम रहे।<br />
<br />
कर्ज़ की फ़स्लों से फ़ायदा ओ सुकूं कब मिला,<br />
प्यार के खेतों पर बैंकों के खौफ़-मातम रहे।<br />
<br />
गोया हर दौर में सैकड़ो लैला मजनू हुवे,<br />
दुनिया वाले भी हर दौर में दानी ज़ालिम रहे।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-84155047094467032372011-07-15T20:11:00.000-07:002011-07-15T20:11:04.801-07:00चांदनी का दरवाज़ा।चांदनी का बंद क्यूं दरवाज़ा है,<br />
चांद आखिर किस वतन का राजा है।<br />
<br />
अपनी ज़ुल्फ़ों को न लहराया करो,<br />
बादलों का कारवां धबराता है।<br />
<br />
नेकी की बाहों में रातें कटती हैं ,<br />
सुबह फिर दर्दे बदी छा जाता है।<br />
<br />
मोल पानी का न जाने शहरे हुस्न,<br />
मेरे दिल का गांव अब भी प्यासा है।<br />
<br />
घर के अंदर रिश्तों का बाज़ार है,<br />
पैसा ही मां बाप जीजा साला है।<br />
<br />
फ़र्ज़ की पगडंडियां टेढी हुईं,<br />
धोखे का दालान सीधा साधा है।<br />
<br />
क्यूं प्रतीक्षा की नदी में डूबूं मैं,<br />
जब किनारों का अभी का वादा है।<br />
<br />
मैं पुजारी ,तू ख़ुदा-ए- हुस्न है,<br />
ऊंचा किसका इस जहां में दर्ज़ा है।<br />
<br />
पी रहां हूं सब्र का दानी शराब,<br />
अब हवस का दरिया बिल्कुल तन्हा है।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-31623613942237762762011-07-09T10:47:00.000-07:002011-07-09T10:47:45.114-07:00मुहब्बत की कहानीमुहब्बत तेरी मेरी कहानी के सिवा क्या है,<br />
विरह के धूप में तपती जवानी के सिवा क्या है।<br />
<br />
तुम्हारी दीद की उम्मीद में बैठा हूं तेरे दर,<br />
तुम्हारे झूठे वादों की गुलामी के सिवा क्या है।<br />
<br />
समन्दर ने किनारों की ज़मानत बेवजह ली,ये<br />
इबादत-ए-बला आसमानी के सिवा क्या है।<br />
<br />
तेरी ज़ुल्फ़ों के गुलशन में गुले-दिल सूर्ख हो जाता,<br />
तेरे मन में सितम की बाग़वानी के सिवा क्या है।<br />
<br />
पतंगे-दिल को कोई थामने वाला मिले ना तो,<br />
थकी हारी हवाओं की रवानी के सिवा क्या है।<br />
<br />
न इतराओ ज़मीने ज़िन्दगी की इस बुलन्दी पर,<br />
हक़ीक़त में तेरी फ़स्लें ,लगानी के सिवा क्या है।<br />
<br />
शिकम का तर्क देकर बैठा है परदेश में हमदम,<br />
विदेशों में हवस की पासबानी के सिवा क्या है।<br />
<br />
ग़रीबों के सिसकते आंसुओं का मोल दानी अब,<br />
अमीरों के लिय आंखों के पानी के सिवा क्याहै।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-36659369011233613572011-07-01T09:01:00.000-07:002011-07-01T09:01:18.199-07:00सुख का दरवाज़ासुख का दरवाज़ा खुला है,<br />
ग़म प्रतिक्षा कर रहा है।<br />
<br />
सूर्ख हैं फूलों के चेहरे,<br />
रंग काटों का हरा है।<br />
<br />
रात की बाहों मेंअब तक,<br />
दिन का सूरज सो रहा है।<br />
<br />
जीतना है झूठ को गर,<br />
सच से रिश्ता क्यूं रखा है।<br />
<br />
इश्क़ के जंगल में फिर इक,<br />
दिल का राही फंस चुका है।<br />
<br />
बन्दगी उनकी हवस की,<br />
सब्र क्यूं मेरा ख़ुदा है।<br />
<br />
जब सियासत बहरों की ,क्यूं <br />
तोपों का माथा चढा है।<br />
<br />
बच्चों की ख़ुशियों के खातिर,<br />
बाप को मरना पड़ा है।<br />
<br />
इश्क़ के सीने पे अब भी,<br />
हुस्न का जूता रखा है।<br />
<br />
मुल्क में पैसा तो है पर,<br />
हिर्स का ताला लगा है। ( हिर्स-- लालच)<br />
<br />
ज़ुल्म के दरिया से दानी,<br />
दीन का साहिल बड़ा है।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-39409334082947726142011-06-24T11:14:00.000-07:002011-06-27T18:41:03.054-07:00नीम कश आंखेंमेरी तेरी जब से कुछ पहचान है,<br />
मुश्किलों में तब से मेरी जान है।<br />
<br />
प्यार का इज़हार करना चाहूं पर,<br />
डर का चाबुक सांसों का दरबान है।<br />
<br />
इश्क़ में दरवेशी का कासा धरे,<br />
बेसबब चलने का वरदान है।<br />
<br />
जब से तेरै ज़ुल्फ़ों की खम देखी है,<br />
तब से सांसत मे मेरा ईमान है।<br />
<br />
मत झुकाओ नीमकश आखों को और,<br />
और कुछ दिन जीने का अरमान है।<br />
<br />
ज़िन्दगी भर ईद की ईदी तुझे,<br />
मेरे हक़ में उम्र भर रमजान है।<br />
<br />
सब्र की पगडदियां मेरे लिये,<br />
तू हवस के खेल की मैदान है।<br />
<br />
मेरे दिल के कमरे अक्सर रोते हैं,<br />
तू वफ़ा की छत से क्यूं अन्जान है।<br />
<br />
तेरे बिन जीना सज़ा से कम नहीं,<br />
मरना भी दानी कहां आसान है।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-85374462272610852592011-06-17T21:48:00.000-07:002011-06-21T02:15:04.113-07:00गम का दरियागम का दरिया छलकने को तैयार है,<br />
साहिले हुस्न का ज़ुल्म स्वीकार है।<br />
<br />
तेरे वादों का कोई भरोसा नहीं,<br />
झूठ की गलियों में तेरा घरबार है।<br />
<br />
चल पड़ी है कश्ती तूफ़ानों के बांहों में,<br />
ज़ुल्मी महबूब, सदियों से उस पार है।<br />
<br />
शहरों का रंग चढने लगा गांव में,<br />
हर गली में सियासत का व्यौपार है।<br />
<br />
पैसों का हुक्म चलता है अब सांसों पर,<br />
आदमी का कहां कोई किरदार है।<br />
<br />
जब से ली है ज़मानत चरागों की,तब<br />
से अदालत हवाओं की मुरदार है।<br />
<br />
बस मिटा दो लकीरे वतन को सनम,<br />
इश्क़ को सरहदों से कहां प्यार है।<br />
<br />
मन के आंगन में गुल ना खिले वस्ल के,<br />
हुस्न के जूड़े में हिज्र का ख़ार है।<br />
<br />
ज़ुल्फ़ों को यूं न हमदम बिखेरा करो,<br />
दानी के गांव का सूर्य बीमार है।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-84153273324664747702011-06-11T10:11:00.001-07:002011-06-11T10:11:55.354-07:00दोस्ती मुश्किलों सेहो गई है दोस्ती मुश्किलों से,<br />
बढ रही हैं दूरियां मन्ज़िलों से।<br />
<br />
तेरे दर पे मरने आया हूं हमदम,<br />
वार तो कर आंखों की खिड़कियों से।<br />
<br />
बीबी के आगे नहीं चलती कुछ, गो<br />
सरहदों पे लड़ चुका सैकड़ों से।<br />
<br />
सोते सोते जाग जाता हूं अक्सर,<br />
लगता है डर ख़्वाबों की वादियों से।<br />
<br />
इश्क़ की रातें चरागों सी गुमसुम,<br />
हुस्न का टाकां भिड़ा आंधियों से।<br />
<br />
दिल के गुल को मंदिरों से है नफ़रत,<br />
वो लिपटना चाहे तेरी लटों से।<br />
<br />
दिल के छत पर तेरे वादों का तूफ़ां,<br />
जो भड़कता हिज्र के बादलों से।<br />
<br />
गर सियासत के बियाबां में जाओ,<br />
बच के रहना जंगली भेड़ियों से।<br />
<br />
जीतना है गर समन्दर को दानी,<br />
फ़ेंक दो पतवारों को कश्तियों से।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-66743014343525647812011-06-03T18:24:00.001-07:002011-06-03T18:24:06.485-07:00तेरी जुदाई का मातमतेरी जुदाई का ऐसा मातम रहा,<br />
ता-ज़िन्दगी दूर मुझसे हर गम रहा।<br />
<br />
मंज़िल मेरी तेरी ज़ुल्फ़ों के गांव में,<br />
दिल के सफ़र में बहुत पेचो-ख़म रहा।( पेचो_ख़म- उलझन)<br />
<br />
इक धूप का टुकड़ा था मेरी जेब में,<br />
पर वो भी नाराज़ मुझसे हरदम रहा।<br />
<br />
सांसे गुज़र तो रही हैं बिन तेरे भी,<br />
पर जीने का हौसला हमदम कम रहा।<br />
<br />
ईमां की खेती करें तो कैसे करें,<br />
बाज़ारे दुनिया में सच भी बरहम रहा। (बरहम- अप्रसन्न)<br />
<br />
दिल की गली को दुआ तेरे अब्र की,<br />
ता उम्र ज़ुल्मो-सितम का मौसम रहा।<br />
<br />
नेक़ी की पगड़ी गो ढीली ढीली रही,<br />
मीनार छूता बदी का परचम रहा।( परचम- झंडा)<br />
<br />
भौतिकता के अर्श में हम ऐसे फंसे, ( अर्श- आकाश)<br />
सदियां गई आदमी पर ,आदम रहा।<br />
<br />
बुलबुल-ए-दिल, हुस्न के बगिया से कहे<br />
सैयाद से रिश्ता दानी कायम रहाѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-994425722334012253.post-32413631090000668802011-05-30T19:27:00.000-07:002011-05-30T19:27:12.967-07:00मेरी तन्हाईमुझसे तन्हाई मेरी ये पूछती है,<br />
<br />
बेवफ़ाओं से तेरी क्यूं दोस्ती है।<br />
<br />
<br />
<br />
चल पड़ा हूं मुहब्बत के सफ़र में,<br />
<br />
पैरों पर छाले रगों में बेख़ुदी है।<br />
<br />
<br />
<br />
पानी के व्यापार में पैसा बहुत है,<br />
<br />
अब तराजू की गिरह में हर नदी है।<br />
<br />
<br />
<br />
एक तारा टूटा है आसमां पर,<br />
<br />
शौक़ की धरती सुकूं से सो रही है।<br />
<br />
<br />
<br />
बिल्डरों के द्वारा संवरेगा नगर अब,<br />
<br />
सुन ये, पेड़ों के मुहल्ले में ग़मी है।<br />
<br />
<br />
<br />
अब अंधेरों का मुसाफ़िर चांद भी है,<br />
<br />
चांदनी के ज़ुल्फ़ों की आवारगी है।<br />
<br />
<br />
<br />
अब खिलौनों वास्ते बच्चा न रोता,<br />
<br />
टीवी के दम से जवानी चढ गई है।<br />
<br />
<br />
<br />
दिल की कश्ती को किनारों ने डुबाया,<br />
<br />
इसलिये मंझधार को से मिलने चली है।<br />
<br />
<br />
<br />
मत लगाना हुस्न पर इल्ज़ाम दानी,<br />
<br />
ऐसे केसों में गवाहों की कमी है।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttp://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.com3