5x0bjT_m3kQ/s484/BBLM%2B3D.png" height="70px" width="200px"/>
function random_imglink(){ var myimages=new Array() myimages[1]="http://www.blogprahari.com/themes/default/imgs/ads/hosting-b22.jpg" myimages[2]="http://www.blogprahari.com/themes/default/imgs/ads/hosting-b22.jpg" var imagelinks=new Array() imagelinks[1]="http://domain.mediaprahari.com/" imagelinks[2]="http://mediaprahari.com/" var ry=Math.floor(Math.random()*myimages.length) if (ry==0) ry=1 document.write('') } random_imglink() Random Advertise by Blogprahari ---->

Check Page Rank of your Web site pages instantly:

This page rank checking tool is powered by Page Rank Checker service


CG Blog


CG Blog

www.hamarivani.com
style="border:none" src="http://www.searchenginegenie.com/widget/seo_widget.php?url=http://ghazalkenam.blogspot.com" alt="Search Engine Promotion Widget" />
www.apnivani.com ...
Global Voices हिन्दी में
रफ़्तार
चिट्ठाजगत

बुधवार, 10 नवंबर 2010

ग़ुरबत का मकां

नींव बिन जो हवाओं में खड़ा है
मेरी ग़ुरबत के मकां का हौसला है।

टूटे हैं इमदाद के दरवाज़े लेकिन
मेहनत का साफ़, इक पर्दा लगा है।

सीढियों पर शौक की काई जमी है
छत पे यारो सब्र का तकिया रखा है।

आंसुओं से भीगी दीवारे -रसोई
पर शिकम के खेत में, सूखा पड़ा है।

बेटी की शादी के खातिर धन नहीं है
इसलिये अब बेटी ही, बेटा बना है।

सुख से सदियों से अदावत है हमारी
ग़म ही अब हम लोगों का सच्चा ख़ुदा है।

सैकड़ों महलों को गो हमने बनाया
पर हमारा घर, ज़मीनें ढूंढ्ता है।

बंद हैं अब हुस्न की घड़ियां शयन में
इश्क़ के बिस्तर का चादर फ़टा है।

हां अंधेरा पसरा है आंगन के सर पे
रौशनी का ज़ुल्म, दानी से ख़फ़ा है।

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुख से सदियों से अदावत है हमारी
    ग़म ही अब हम लोगों का सच्चा ख़ुदा है।

    बहुत ही शानदार ग़ज़ल।

    जवाब देंहटाएं
  2. बेटी की शादी के खातिर धन नहीं है
    इसलिये अब बेटी ही, बेटा बना है।

    सुख से सदियों से अदावत है हमारी
    ग़म ही अब हम लोगों का सच्चा ख़ुदा है।
    हर एक शेर दिल को छूता है। धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. टूटे हैं इमदाद के दरवाज़े लेकिन
    मेहनत का साफ़, इक पर्दा लगा है।


    बहुत ही सुन्‍दर पंक्तियां भावमय प्रस्‍तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  4. टूटे है इमदाद के दरवाजे लेकिन
    मेहनत का साफ़ ,एक पर्दा लगा है.
    बहुत अच्छी ग़ज़ल. बधाई.
    v k verma

    जवाब देंहटाएं
  5. महेन्द्र भाई , कपिला जी, सदाजी , विजय वर्मा जी और वाणी जी
    आपके कमेन्टस मेरे लिये किसी धरोहर से कम नहीं , शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं